जादू का छोटा पैकेट

89.कविता-शरणार्थियों का हाल कोई हमसे पूछे / 20 Jun 2011, 1245 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
88.कविता- वन महोत्सव गीत / 16 Jun 2011, 1438 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
87.हसीन यादें- शूज से चुन्नी की मैचिंग/15 Jun 2011, 1407 hrs IST,नवभारतटाइम्स.क
86. कविता-वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ / 8 Jun 2011, 1309 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
85.मुझे कुछ कहना है- गौ ग्रास सेवा को धन्यवाद / 29 May 2011, 1315 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
84.कविता:मिलके भी नहीं मिलते / 28 May 2011, 1408 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
83.कहानी-पश्चाताप की झलक / 25 May 2011, 1343 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
82.कहानी- डाइनिंग टेबिल पर बहार / 23 May 2011, 1329 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
81.कविता: हम आतंक के साए में जी रहे हैं / 21 May 2011, 1453 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
80.हसीन यादें: इक हसीं शाम / 20 May 2011, 1521 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
79.कविता: तराना मिलके गाना है / 20 May 2011, 1411 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
78.कविता: खुशी को खुशी ही रहने दो / 19 May 2011, 1528 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
77.हसीन यादें: खुशियों के रंग, अनमोल यादों के संग / 18 May 2011, 1603 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
76.हसीन यादें: ...और वे सुधर गए / 17 May 2011, 1109 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
75.हसीन यादें: वह उपयोगी लेख / 16 May 2011, 1510 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
74..कहानी: नए प्रयोग का जादू चल गया / 13 May 2011, 1056 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
भाई भुल्लक्ड़राम
सूरज के सम दमको प्यारे
मन के गुलशन में बहार आ गई
गीत खुशी के गाता रहे
आत्मजा
याद है वह अनमोल उपहार
बच्चों की मधुर यादें
खिले गुलाब सा वह चेहरा याद है
ऐसे ही बनते होंगे मुहावरे
मौजां-ही-मौजां
पुनर्जन्म
सुख की वर्षा
जादुई एसएमएस का कमाल
इनाम की अठन्नी
भुलाए नहीं भूलतीं वे मधुर-स्मृतियां
जब वह मुझसे भी आगे निकल गई
प्रार्थना
सद्भावना
कान्हा
कैसे भूलूं
फूलें-फलें और खेलें-खाएं
भारत की शान बढ़ाऊंगी
मौन में भी तरन्नुम होता है
अश्रुधाराओं का सम्मिलन
एक लहर
अब तो मेडल-दीप जलेंगे
पकोड़े
एक लहर
बिटिया का फोन
प्यार की प्यास
सबसे बड़ा पैक
समर्पण का सम्मान
और वे सुधर गए
समाज फिल्मी है या...
शीला की जवानी नहीं प्याज
और उसकी किस्मत का दरवाजा खुल गया
मिट्टी सोने चांदी से कम नहीं है
प्रेम प्रभु का वरदान है
उपहार देना ही नहीं लेना भी एक कला है
ऐक्यूप्रैशर का जादू
कभी नहीं भूल पाऊंगी वे 13 रुपये
अभावों का रंग फीका पड़ गया
सांप और इनसान
और वे सुधर गए
जाको राखे साइयां मार सके ना कोय

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