इन्द्रधनुष था हाथ में आया

इन्द्रधनुष था हाथ में आया - जन्मदिन मुबारक
हिन्दी कविता-लेखिका लीला तिवानी

जन्मदिवस की पावन वेला, मन में था खुशियों का मेला.
सखियों ने वह रंग जमाया, इन्द्रधनुष था हाथ में आया.

एक सखी ने लाल फूल दे, मुझ पर प्रेम-प्यार दर्शाया.
उन फूलों ने उस पल मेरे, मन का आनंद और बढ़ाया.

एक सखी ने श्वेत सुमन दे, अपना पावन दिल दिखलाया.
उन फूलों ने उस पल मेरे, मन को पावन और बनाया.

एक सखी ने सुमन गुलाबी, देकर मन को मस्त बनाया.
उन फूलों ने उस पल मेरे, इन्द्रधनुष को और सजाया.

एक सखी ने पीले फूल दे, मन में मानो जादू जगाया.
उन फूलों ने उस पल मेरे, मन को साहस से सरसाया.

आसमान का इन्द्रधनुष तो, होता बस पल भर की माया.
फूलों के उस इन्द्रधनुष ने, कई दिनों तक मुझे लुभाया.

सखियों ने वह रंग जमाया, इन्द्रधनुष था हाथ में आया,
इन्द्रधनुष था हाथ में आया, इन्द्रधनुष था हाथ में आया.

-----------------------------------------------------------------

शहनाई-से पीले फूल
हिन्दी कविता-लेखिका लीला तिवानी

खुशियों की पांखें ले आए, शहनाई-से पीले फूल,
जन्मदिवस का तोहफ़ा लाए, शहनाई-से पीले फूल.

मन में तरल तरंगें लाए, शहनाई-से पीले फूल,
सागर जैसी उमंगें लाए, शहनाई-से पीले फूल.

आनंद की बगिया ले आए, शहनाई-से पीले फूल.
सद्भावों का सागर लाए, शहनाई-से पीले फूल.

सांसों की सरगम सरसाएं, शहनाई-से पीले फूल.
सखियों का तन-मन हर्षाएं, शहनाई-से पीले फूल.

यादों के पल फिर ले आए, शहनाई-से पीले फूल.
कैसे-कैसे रंग दिखाएं, शहनाई-से पीले फूल.

सूरज जैसे दम-दम दमकें, शहनाई-से पीले फूल.
चंदा चम-चम चमकें, शहनाई-से पीले फूल.

मन में साहस-तेज जगाएं, शहनाई-से पीले फूल.
पीताम्बर की झलक दिखाएं, शहनाई-से पीले फूल.

खुशियों की पांखें ले आए, शहनाई-से पीले फूल,
जन्मदिवस का तोहफ़ा लाए, शहनाई-से पीले फूल.

-----------------------------------------------------------------

जन्मडींहं जा गुल
पंजवीह साल पुराणी डंही सेप्टेम्बेर जी उणीह सौ टियासीअ जी मुंहिंजे जन्मडींहं जी सुहिणी वेल
मां स्कूल पाए वियसि नईं साढ़ी चिमिकंदडु मंगलसूत्र ऐं खुशीअ विचां हलां पई इंएं जणु त सुपरफास्ट राजधानी रेल,
हिकिड़ी शागिर्द जयश्रीअ जे मन में थी वई खलबली
थोरी ई मेहनत सां पतो करे वरिताईं खबर भली
अजु आ मैडम जो जन्मडींहुं तडंहिं खिली आ मैडम जे मन जी कली,
झटपट वई स्कूल जे बागीचे में मालीअ खां पुछी पटियाईं कुझु गाढ़ा गुल
ठाहियाईं हिकु गुलदस्तो खणी आई मूं वटि "हैप्पी बर्थडे मैडम'' चई डिनाईं मूंखे गुलदस्तो
चयाईं "मैडम, हमेशा इंएं टिड़दा रहो जीअं ही प्यारा-प्यारा गुल,
इहो तोहफ़ो हो अनमोल न हो हिनजो कोई मोल
अजु ताईं छपियल आ दिल ते हुननि गुलनि जी तस्वीर
अजु बि करे थी मूंखे ताज़ो-तवानो जींअं त शीतल-मंद-सुगंधित हीर.
कींअं विसारियां मां उहे प्यारा-प्यारा गुल
दुनिया जे हर तोहफ़े खां अनमोल उहे प्यारा-प्यारा गुल.

No comments: